मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

जे एफ एम एल टी इंडिया संगठन का प्रयास हुआ सफल नेशनल कमीशन,स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार ने सुझावों को माना

जॉइंट फोरम ऑफ़ मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट इंडिया राष्ट्रीय संगठन के लगभग 8000  सदस्यों जो की पुरे भारत की विभिन्न राज्यों द्वारा सितम्बर 2025 माह में मेडिकल लेबोरेटरी साइंसेज में करिकुलम  के सम्बन्ध में सुझाव दिए गए थे   

डॉ. संतोष कुमार ,अध्यक्ष ,जे एफ एम एल टी इंडिया राष्ट्रीय संगठन ने बताया कि मेडिकल लेबोरेटरी साइंसेज में करिकुलम  के सम्बन्ध में पुरे सम्पूर्ण भारत में वेबिनार के माध्यम से सुझाव मांगे गए 

जे एफ एम एल टी इंडिया संगठन के द्वारा दिए गए बहुत से सुझावों को नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एन्ड हेल्थ केयर प्रोफेशन, स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार ने माना एवं नया कॉम्पिटेंसी बेस्ड करिकुलम  15  अक्टूबर को जारी किया  

लेबोरेटरी कैडर के तहत  डिप्लोमा के आधार पर मेडिकल लबोरटरी एसोसिएट्स बनेंगे, डिग्री के आधार पर मेडिकल लबोरटरी टेक्नोलॉजिस्ट ,मास्टर डिग्री मेडिकल लेबोरेटरी साइंसेज के आधार पर टेक्निकल ऑफिसर सहित चीफ टेक्निकल ऑफिसर तक के पदों तक पहुचंगे 

शैक्षणिक, टीचिंगकैडर के तहत  शैक्षणिक, टीचिंग के पदों को भी निर्धारित किया गया है  एवं  शैक्षणिक योग्यता भी तय किया गया है जिसमें  टुटर/ डेमोंस्ट्रेटर सहित असिस्टेंट प्रोफेसर , एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर ,सीनियर प्रोफेसर, एवं डीन तक के पदों को भी तय किया गया है 

रिसर्च एवं डेवलपमेंट कैडर के तहत साइंटिस्ट बी ,साइंटिस्ट सी ,साइंटिस्ट बी ,साइंटिस्ट डी,साइंटिस्ट इ ,साइंटिस्ट एफ ,साइंटिस्ट जी एवं हेड/ डायरेक्टर तक के पदों को भी निर्धारित किया गया है एवं उनकी शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित की गयी है 

हेल्थ केयर इंडस्ट्री के क्षेत्र में भी  मेडिकल लेबोरेटरी साइंस के प्रोफेशनल्स के लिए एप्लीकेशन स्पेशलिस्ट,प्रोडक्ट डेवलपमेंट साइंटिस्ट ,क्वालिटी   एंड  रेगुलेटरी  स्पेशलिस्ट जैस पदों को भी निर्धारित किया गया है 

हालाकिं मेडिकल लेबोरेटरी साइंसेज के सिलेबस में कुछ सब्जेट में पढ़ाये जाने वाली यूनिट्स में कुछ कमिया रहा गयी है एवं कुछ विषय छूट गए है जिसे कमीशन जल्द ही ठीक कर लेगा 

जे एफ एम एल टी इंडिया संगठन के पदाधिकारियों का बहुत योगदान रहा, राष्ट्रीय मार्गदर्शक रघुनाथ  भोगले,राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष जयचन्द तंवर,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमलेश राठौर, राष्ट्रीय चेयरमैन मनोज यादव ,राष्ट्रीय महासचिव श्रीकांत तिवारी ,राष्ट्रीय सह सचिव यदुनाथ मिश्रा, जोनल कोऑर्डिनेटर शिरीष  चांडक, जोनल कोऑर्डिनेटर अनिल शर्मा,जोनल कोऑर्डिनेटर टिकेश्वर प्रसाद, 


सोमवार, 22 सितंबर 2025

ताजे पानी में पनपने वाले अमीबा के मस्तिष्क खाने से 19 मौतें: संक्रमण कैसे होता, कौन जिम्मेदार है

केरल में ताजे पानी में पनपने वाले मस्तिष्क भक्षी अमीबा के कारण 69 पुष्ट मामले, 19 मौतें: यह संक्रमण चुनौतीपूर्ण क्यों है और सावधानी की आवश्यकता क्यों है

केरल नेग्लेरिया फाउलेरी संक्रमण में उल्लेखनीय वृद्धि से जूझ रहा है, जिसे आमतौर पर "दिमाग खाने वाला अमीबा" कहा जाता है, जिसके 69 पुष्ट मामले सामने आए हैं और 19 मौतें हुई हैं। पिछले प्रकोपों ​​के विपरीत, जो एकल जल स्रोतों से जुड़े थे, हालिया मामले अलग-थलग हैं, जिससे रोकथाम के प्रयास जटिल हो गए हैं।

गर्म, स्थिर मीठे पानी से बचना तथा जल स्वच्छता बनाए रखना, रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपचार के परिणाम अभी भी सीमित हैं।

केरल राज्य में नेगलेरिया फाउलेरी, जिसे आमतौर पर "दिमाग खाने वाला अमीबा" कहा जाता है, के कारण होने वाले संक्रमण में भारी वृद्धि देखी जा रही है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को राज्य विधानसभा को बताया कि अब तक राज्य भर में कुल 69 मामलों की पुष्टि हुई है और 19 मौतें हुई हैं।

अतीत में देखी गई किसी भी घटना के विपरीत, यह घातक वायरस प्रकोप एक ही जल स्रोत से जुड़ा हुआ है, हाल के मामलों से यह पता चलता है कि नियंत्रण और रोकथाम करना कितना कठिन हो गया है।

अमीबा, नेगलेरिया फाउलेरी वास्तव में मस्तिष्क में क्या खा रहा है?

नेगलेरिया फाउलेरी एक सूक्ष्म अमीबा है जो तालाबों, नदियों और झीलों जैसे गर्म, ताजे जल निकायों में पाया जाता है

यह बैक्टीरिया पर पलता है और तलछट में पनपता है, धीरे-धीरे खतरनाक हो जाता है जब इस जीव युक्त पानी नाक के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है, खासकर जब यह बैक्टीरिया मानव शरीर में प्रवेश करता है।

वहां से, अमीबा मस्तिष्क तक पहुंच सकता है, जिससे एक दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण हो सकता है जिसे प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) के रूप में जाना जाता है।

नेग्लेरिया की 7 प्रजातियों में से केवल एन फाउलेरी प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) का कारण बनता है, जो एक दुर्लभ लेकिन तेजी से बढ़ने वाला और लगभग हमेशा घातक सीएनएस संक्रमण है, जिससे 3 से 7 दिनों के भीतर रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

इसका एकमात्र सकारात्मक पहलू यह है कि यह खारे पानी में जीवित नहीं रह सकता, जिससे समुद्र जोखिम मुक्त क्षेत्र बन जाता है, और यह गैर-संचारी भी है, तथा व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क के माध्यम से नहीं फैल सकता। "पिछले वर्ष के विपरीत, हम किसी एक जल स्रोत से जुड़े समूहों को नहीं देख रहे हैं।

एनडीटीवी समाचार ने मंत्री वीना जॉर्ज के हवाले से कहा, "ये एकल, अलग-थलग मामले हैं, जिससे हमारी महामारी विज्ञान संबंधी जांच जटिल हो गई है।"

यह इतना घातक क्यों है?

नेग्लेरिया फाउलेरी के कारण होने वाला संक्रमण तेज़ी से बढ़ता है। शुरुआती लक्षण सामान्य मस्तिष्क संक्रमणों जैसे ही होते हैं, जैसे तेज़ बुखार ,सिरदर्द, गर्दन में अकड़न ,उल्टी ,भ्रम, दौरे

दुर्लभ मामलों में, इस संक्रमण से मस्तिष्क में गंभीर सूजन हो जाती है और महत्वपूर्ण कार्यों में तेजी से गिरावट आती है।

कैसे सुरक्षित रहें: रोकथाम के सुझाव

बिना किसी टीके या गारंटीशुदा इलाज के, बचाव ही हमारा सबसे अच्छा बचाव है। स्वास्थ्य अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं और सुरक्षित रहने के तरीके बता रहे हैं।

झीलों, तालाबों, नदियों जैसे गर्म, स्थिर मीठे पानी में तैरने से बचें।

सुनिश्चित करें कि आस-पास की पानी की टंकियाँ अच्छी तरह से साफ़ और क्लोरीनयुक्त हों।

उथले मीठे पानी में तलछट को हिलाने से बचें, जहाँ अमीबा आमतौर पर रहते हैं।

यदि मीठे पानी के संपर्क में आने के बाद आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

इन्क्यूबेशन पीरियड

एनआईएच के अनुसार, अमीबा के संपर्क में आने के बाद लक्षण विकसित होने में लगभग एक से 14 दिन का समय लगता है। इस अवधि के दौरान, अमीबा नाक गुहा के माध्यम से प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंचता है

शुरुआत में लक्षण दिखाई नहीं देते और एक बार दिखाई देने पर वे तेजी से बढ़ जाते हैं और उन्हें जल्दी पहचानना महत्वपूर्ण है

उपचार और जीवित रहने की दर

पीएएम का उपचार एक जटिल मुद्दा बना हुआ है, लेकिन केरल ने अपने प्रोटोकॉल के एक भाग के रूप में मिल्टेफोसिन नामक एक परजीवी-रोधी दवा का उपयोग शुरू कर दिया है।

इससे परिणामों में थोड़ा सुधार हुआ है, पूरी तरह से नहीं। मृत्यु दर अभी भी ऊँची बनी हुई है और शीघ्र हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है।

69 पुष्ट मामले एक बड़ी संख्या है, इस संक्रमण का पहले पता लगाना मुश्किल है लेकिन सावधानी ज़रूरी है सरल कदमों और स्वच्छता बनाए रखने से जल भंडारण प्रणालियां महत्वपूर्ण अंतर ला सकती हैं।

शनिवार, 13 सितंबर 2025

नहीं चलेगी मनमानी :कार्पोरेट पैथोलॉजी लैब द्वारा कलेक्शन सेंटर की भूमिका तय हो :मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी वेलफेयर एसोसिएशन मध्य प्रदेश

 मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी वेलफेयर एसोसिएशन मध्य  प्रदेश  जो कि राष्ट्रीय संगठन जॉइंट फॉर्म ऑफ़ मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट इंडिया से सम्बन्धित प्रदेश इकाई के रूप में मध्य्प्रदेश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट ,लैब संचालको , पैथ लैब कलेक्शन सेंटर्स के हितों के लिए विगत कई वर्षों से कार्य कर रहा है


मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी वेलफेयर एसोसिएशन मध्य  प्रदेश ने मांग उठायी है कि जितने भी कॉर्पोरेट पैथोलॉजी लैब है उनके द्वारा मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट को पैथ लैब कलेक्शन सेंटर्स दिया जाता है

उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सहित उपयोगिता तय कि जाय साथ ही इन मांगों को पूरा किया जाय  

1. कॉर्पोरेट पथ लैब द्वारा दिए गए  पैथ लैब कलेक्शन सेंटर के द्वारा ही  सैंपलस को  कलेक्ट करवाया जाय

(कलेक्शन सेंटर केवल पैरामेडिकल काउंसिल द्वारा रजिस्टर्ड मेडिकल लैब टेक्नालॉजिस्ट को ही दिया जाय

2.आनलाइन बुकिंग द्वारा सैंपल कलेक्शन एवं रजिस्ट्रेसन केवल पैथ लैब कलेक्शन सेंटर द्वारा ही करवाया जाए। ( थर्ड  पार्टी द्वारा सैम्पल्स कलेक्शन बंद किया जाए )

3.कलेक्शन सेंटर का डिस्ट्रीब्यूशन करने में संगठन की स्वीकृति अनिवार्य किया जाए।

प्रदेश अध्यक्ष विनोद वर्मा ने बताया कि  इन सब विषयों पर विरोध करने का मतलब यह है कि  भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार दोनों कॉर्पोरेट  को प्रोत्साहित इसलिए करते हैं कि कार्पोरेट लैबों द्वारा प्रदेश एवं देश के मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट को रोजगार एवं स्वरोजगार मिले, परन्तु इनके  द्वारा सीधा  आनलाइन के माध्यम से,डॉक्टर से  एवं अस्पताल से सीधा सैंपल कलेक्शन किया जाता है जो कि गलत है

इससे मेडिकल  लैब टेक्नोलॉजिस्ट के अधिकार का हनन किया जा रहा है कार्पोरेट पैथोलॉजी लैब्स द्वारा जो नीति अपनाई जा रही है वो भी गलत है इससे  मेडिकल लैब  टेक्नोलॉजिस्ट बेरोजगार हो रहे हैं। और उनका भविष्य अंधकार में जा रहा है।

प्रदेश महासचिव कमलेश राठौर ने बताया कि  इस सम्बन्ध में कार्पोरेट पैथोलॉजी लैब्स  के खिलाफ पुरे प्रदेश में आन्दोलन किया जायेगा कि नॉन टेक्निकल को पैथ लैब का सैंपल कलेक्शन सेंटर ना दिया जायक्योंकि नॉन टेक्निकल जीनोने मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी कि पढ़ाई नहीं की होती है इसलिए उन्हें मेडिकल लेबोरेटरी की जांचों एवं सैम्पल्स ट्रांसपोर्टेशन ,सैंपल प्रिजर्वेशन, या अन्य तथ्यों की जानकारी नहीं होती है ना ही मेडिकल एथिक्स की जानकारी होती है कई बार इन नॉन टेक्निकल के द्वारा सैम्पल्स के साथ लापरवाही बरती जाती है जिससे मरीज की  रिपोर्ट्स गलत आती है जिससे मरीज का सही तरिके से इलाज नहीं हो पाता है

इस सम्बन्ध में मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग को भी अवगत कराया जायेगा कि एक कॉर्पोरेट पैथ लैब के लिए  सैंपल कलेक्शन  सेण्टर खोलने एवं सञ्चालन के सम्बन्ध में गाइडलाइन बनाया जाये  

साथ ही कहा गया कि हमारी मांगों को गंभीरता से पालन करवाया जाय इससे कार्पोरेट पैथालॉजी लैब एवं मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट दोनों का भविष्य बेहतर होगा और संगठन का सहयोग हमेशा बना रहेगा। साथ ही मरीजों कि प्रॉपर डायग्नोसिस होगी एवं स्वास्थ्य सेवाओं का सुचारु रूप से संचलन किया जा सकेगा

 

जे एफ एम एल टी इंडिया संगठन का प्रयास हुआ सफल नेशनल कमीशन,स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार ने सुझावों को माना

जॉइंट फोरम ऑफ़ मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट इंडिया राष्ट्रीय संगठन के लगभग 8000  सदस्यों जो की पुरे भारत की विभिन्न राज्यों द्वारा सितम्बर ...